जयपुर (शिवांग चतुर्वेदी). जयपुर से चलने वाली दो ट्रेनों को पिछले दो महीनों से बढ़ी सीटों वाले कोच लगाकर संचालित किया जा रहा है। दोनों ट्रेनों के सेकेंड एसी में चार सीटें यानी आते-जाते आठ सीटें खाली जा रही हैं, लेकिन उत्तर पश्चिम रेलवे के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर को इसकी जानकारी ही नहीं है। इससे रेलवे को रेवेन्यू का नुकसान उठाना पड़ रहा है। यात्रियों को इसका फायदा नहीं मिल रहा और टीटीई अपने हिसाब से इनका इस्तेमाल कर रहे हैं।
जयपुर-दिल्ली ट्रेन में 48 सीटें...बुकिंग सिर्फ 46 की ही
जयपुर से दिल्ली (सराय रोहिल्ला) के बीच दैनिक सैनिक एक्सप्रेस में रेलवे ने करीब दो महीने पहले सेकेंड एसी का कोच बदला था। इसमें बर्थ की संख्या 46 से बढ़ाकर 48 कर दी गईं। लेकिन सिस्टम 46 सीटें ही बुक करता है। यानी ट्रेन के दोनों फेरों में सेकेंड एसी की चार सीटें कम बुक हो रही हैं। परेशानी आरएसी और वेटिंग वाले यात्रियों को झेलनी पड़ रही है।
जयपुर-बांद्रा में सीटें 54 हैं...बुकिंग 52 की हो रही
जयपुर से बांद्रा टर्मिनस के बीच वीकली स्पेशल ट्रेन बांद्रा से हर सप्ताह सोमवार और जयपुर से मंगलवार को संचालित होती है। इस ट्रेन में 52 सीट के कोच को दो माह पहले बदलकर 54 सीट कर दिया गया था। इसमें भी बुकिंग 52 सीट की ही हो रही है। यानी ट्रेन की दोनों ओर से प्रत्येक ट्रिप में 4 चार सीटें कम बुक हो रही हैं। ऐसे में रेलवे को राजस्व का और यात्रियों को वेटिंग का नुकसान हो रहा है।
वजह ये कि...कोच बदलने वाले ऑपरेटिंग विभाग ने बताया नहीं और रिजर्वेशन स्टाफ भी सोता रहा
ट्रेन में कोच लगाने, उसमें बदलाव का काम ऑपरेटिंग विभाग करता है। मुख्य परिचालन प्रबंधक की अनुशंसा पर मुख्य यात्री परिवहन प्रबंधक (सीपीटीएम) इस तरह के बदलाव को अमल में लाता है। {ऑपरेटिंग विभाग इस बदलाव की जानकारी ग्राउंड स्तर पर टीएनसी/ऑपरेटिंग स्टाफ रिजर्वेशन कार्यालय को देता है। लेकिन इस प्रक्रिया को निचले स्तर पर ना तो ग्राउंड स्टाफ द्वारा अपनाया गया और ना ही सीपीटीएम और सीनियर डीओएम ने इस ओर ध्यान दिया। {नतीजा ये कि कागजों में बर्थ उपलब्ध नहीं होने पर टीटीई इन सीटों को अपने मनमुताबिक आवंटित करते हैं।
मुझे मामले की जानकारी नहीं है... मुझे इस मामले की जानकारी नहीं है। अगर ऐसा है तो ये गलत है। इसकी जांच करवाई जाएगी। - रविंद्र गोयल , उत्तर पश्चिम रेलवे के प्रिंसिपल सीओएम (चीफ आॅपरेटिंग मैनेजर)